Income Tax Department: इनकम टैक्स निभाग 2023-24 तक टैक्सपेयर्स की संख्या को 10 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
Income Tax: अगर आप विदेश यात्रा पर खूब पैसा खर्च रहे हैं, या फिर भारी भरकम बिजली बिल अदा कर रहे हैं, महंगे डिजाइनर कपड़े खरीद रहे हैं या फिर फर्टिलिटी क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं तो सावधान हो जाएं इनकम टैक्स विभाग की आप पर नजर है. इनकम टैक्स विभाग टैक्सपेयर्स की संख्या को बढ़ाने के लिए इन चीजों पर ज्यादा खर्च करने वालों पर नकेल कसने की तैयारी में है तो टैक्स नहीं चुका रहे और आयकर रिटर्न नहीं भर रहे. इनकम टैक्स विभाग टैक्सबेस को 10 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
इनकम टैक्स विभाग ने टैक्सबेस यानि टैक्सपेयर्स की संख्या को बढ़ाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. जिसमें महंगी चीजों की खरीदारी की रिपोर्टिंग करने वाली संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराये गए वाले फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन की जांच करना, अलग अलग एजेंसियों और थर्ड पार्टी से डेटा जुटाने को मजबूत करना और साथ में अलग अलग एनटिटी द्वारा काटे गए टीडीएस या फिर काटे गए टैक्स के स्टेटमेंट की गहन जांच करना शामिल है.
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के एलान के बाद से ही हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन टैक्स के दायरे में आ चुका है. इनकम टैक्स विभाग डाटा एनालिटिक्स के जरिए वैसे लोगों का पता लगाने में जुटा है जिन्होंने हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन किया है लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है. माना जा रहा है कि इस महीने इनकम टैक्स विभाग इस एक्शन प्लान पर काम करना शुरू कर देगी. पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने सीबीडीटी के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की थी. इस बैठक में तीन बिंदुओं पर चर्चा हुई. जिसमें टैक्सपेयर्स की संख्या को कैसे बढ़ाया जाए इस पर भी व्यापक चर्चा हुई थी.
आईसीएआई के पूर्व प्रेसीडेंट वेद जैन के मुताबिक, इनकन टैक्स की कोशिश है कि हर व्यक्ति अपने ऊपर बनने वाले टैक्स का भुगतान करे. पैन नंबर, आधार नंबर और मोबाइल नंबर के जरिए इनकम टैक्स विभाग के लिए लोगों को ट्रैक करना आसान हो गया है. ऐसे में जो भी हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन करता है उसके लिए ये जरुरी है कि वो ट्रांजैक्शन टैक्स चुकाने के बाद बचे पैसे से हो. ऐसे नहीं चल सकता कि वो खर्च करता रहे, अपनी आय घोषित ना करे और टैक्स ना चुकाये.
नोटबंदी के बाद से टैक्स देने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है. इनकम टैक्स विभाग का ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाने का प्रयास जो कि रंग भी लाया है. बीते कुछ वर्षों में टैक्स विभाग ने टैक्स की चोरी रोकने के लिए बहुत सारे कदम भी उठाये हैं. टैक्सपेयर्स के लिए सर्विसेज बढ़ी है तो साथ में अनुपालन भी बढ़ा है. जिसका नतीजा है 58 फीसदी टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ी है तो इसी के साथ टैक्स कलेक्शन भी बढ़ा है. 2015-16 एसेसमेंट ईयर में कुल टैक्सपेयर्स की संख्या 3,99,60,738 थी जो 2021-22 एसेसमेंट ईयर में 58 फीसदी बढ़कर 6,33,38,212 टैक्सपेयर्स हो गई है.
संसद में जो सरकार ने आंकड़ा पेश किया था उसके मुताबिक 5 लाख रुपये सालाना आय वाले टैक्सपेयर्स की संख्या 2015-16 एसेसमेंट ईयर में 3,23,71,825 थी जो 2021-22 एसेसमेंट ईयर तक 27 फीसदी बढ़कर 4,11,60,543 हो गई है. अगर 5 से 10 लाख रुपये कमाने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या पर नजर डालें तो इनकी संख्या 2015-16 एसेसमेंट ईयर में 53,34,381 थी जो 2021-22 एसेसमेंट ईयर में 163 फीसदी के उछाल के साथ 1,40,74,602 हो गई है. 2015-16 में 10 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आय वाले टैक्सपेयर्स की तादाद केवल 22,54,532 थी जो 2021-22 एसेसमेंट ईयर तक 260 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ बढ़कर 81,06,067 हो गई है.