• जब इंसान को अलौकिक ज्ञान की अनुभूति हो जाती है तो फिर उसे भौतिक सुख सुविधा और सांसारिक मौह माया तनिक छू भी नहीं सकते हैं।
  • जैसे जैसे इंसान प्रभु से लगन लगाता है वैसे वैसे वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर प्रभु के पास खींचता चला जाता है। प्रभु से लगन लगने की कोई उम्र नहीं होती है।
  • अक्सर यह देखा गया है कि इंसान जीवन के अंतिम पडाव में ईश्वर की भक्ति करने लगता है या फिर सोचता है। मगर हम आपको जो बताने जा रहे हैं वह बिल्कुल विपरीत है।
  • यहा जिंदगी के पहले पडाव में ही एक बालक ने 16 वर्ष की उम्र में ही सांसारिक मौह माया से मुक्त होकर सन्यास की राह अपनाने का फैसला ले लिया ।
  • हम बात कर रहे हैं धार जिले के ग्राम नागदा की जहाँ मात्र 16 वर्ष का एक जैन मुनि बनकर सन्यास की ओर जा रहा है .

ये है धार जिले के एक छोटे से गाँव नागदा के मुकेश श्रीमाल जो कि हार्डवेयर और आटोपार्ट्स के कारोबारी है , इनका यहाँ अच्छा खासा कारोबार है और समृद्ध परिवार है , मुकेश श्रीमाल का 16 वर्षीय इकलौता बेटा अचल श्रीमाल करोडो की प्रापर्टी और कारोबार छोड अब जैन मुनि बनकर सन्यास लेने जा रहे है , घर मे बडी बहन याचिका श्रीमाल और दादा दादी अंकल सब है , अन्य बच्चो की तरह खेलने कूदने , घूमने फिरने और मोबाइल के शौकीन रहे अचल ने अब सन्यास की राह पकड ली है , पिछले डेढ वर्ष से अचल ने एसी पंखे जैसी तमाम भौतिक सुख सुविधाए त्याग दी है , जब से अचल ने जैन मुनि बनने का प्रण लिया है तब से प्रदेश और अन्य प्रदेशो के कई शहरो मे अचल का जुलूस निकालकर स्वागत किया जा रहा है , 4 दिसंबर को जैन संत जिनेन्द्र मुनि ग्राम नागदा मे ही अचल को दीक्षा देगे . अचल ने नौ वी कक्षा तक पढ़ाई की है , छुटि्टयों में वे मुनियों के साथ विहार करने लगे और यहीं से मुनि बनने का निर्णय लिया, अब तक वे आष्टा, भोपाल, शाजापुर, शुजालपुर समेत कई शहरों में 1200 किलोमीटर तक पैदल विहार कर चुके हैं , अचल का कहना है कि जब वे जैन मुनियो से संपर्क मे आये तो उनका मन जैन मुनि बनने का हुआ और तभी से वे सन्यास की ओर चलते गये , अब 4 दिसंबर को वे दीक्षा लेगे , साथ ही उनका कहना है कि सांसारिक सुख सुविधाओ मे कोई सुख नही है , इसलिये वे अनंत सुख की ओर अग्रसित हुए है , दूसरे लोगो को प्रेरणा देते हुए अचल कहते है कि ये जरुरी नही है कि संन्यास लेकर अहिंसा धर्म अपनाया जाये बल्कि लोग अपने घरो मे रहकर भी अहिंसा धर्म का पालन कर सकते है .

 छोटी सी उम्र में सन्यास की राह पकड़ने वाले अचल ने मीडिया से चर्चा में क्या कुछ कहा।

अचल श्रीमाल , ग्राम नागदा

 

धार जिले के ग्राम नागदा के अचल ने मात्र 16 वर्षी की उम्र मे दीक्षा ग्रहण करने का निर्णय लिया और वे अब संन्यास की ओर अग्रसित हो रहे है , अचल उनके पिता मुकेश श्रीमाल और रानी श्रीमाल का एकलौता पुत्र है , बावजूद इसके अचल के माता पिता ने भी अचल के इस इतने बडे फैसले का साथ दिया और उन्होने भी अचल को जैन मुनि बनने की हाँ भर दी , अचल के माता पिता का कहना है कि अचल के इस फैसले से उन्हे बहुत खुशी और गर्व हो रहा है .

देखिए एक सन्यासी की राह पर जाने वाले अचल के माता पिता ने अपने बेटे को लेकर क्या कुछ कहा

 मुकेश श्रीमाल , पिता

 

रानी श्रीमाल , माता

 

छोटी सी उम्र मैं प्रभु से प्रीत लग जाने से अचल ने सांसारिक मोह माया को त्याग कर सन्यास की राह अपनाने का फैसला लिया जिसमें उनके माता-पिता ने भी उन्हें साथ दिया और वे खुशी के साथ गर्व महसूस कर रहे हैं कि उनका बेटा एक सन्यासी बनने जा रहा है

आजकल हर कोई धन दौलत और भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे भाग रहा है तो वही अचल इन सबका त्याग कर सन्यासी की राह पर चल पड़े ।

ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है।

 

By jansetu