इस दौर में पत्रकारिता करना कठिन होता जा रहा है। पहले के दौर मे सच को झूठ छापना और झूठ को सच बताना कठिन होता था।

मगर अब तो सच को सच छापना और झूठ को झूठ छापना पत्रकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं।

अगर पत्रकार सच दिखाने की कोशिश भी करता है तो कोर्ट, कचहरी से पहले उसे पुलिस थाने के चक्कर काटने पड़ते हैं।

और बिना जांच के पत्रकारों पर मामले भी दर्ज हो जाते हैं।

जो कई पत्रकार इस पीड़ा को झेल भी रहे हैं।

एक ऐसा ही मामला धार में देखने को आया जहा पत्रकार ने नियम विरुद्ध नियुक्ति को लेकर अखबार में खबर प्रकाशित की थी। संबंधित का वर्जन लेने के लिए पत्रकार ने फोन पर जानकारी लेना चाही थी।
इसी से तिलमिलाकर उक्त अधिकारी ने पत्रकार राकेश साहू के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कोतवाली थाने पर आवेदन दे दिया। जिससे पत्रकार मानसिक रूप से परेशान हो रहा था।

इसी के चलते धार के पत्रकार लामबंद हुए और धार एसपी आदित्य प्रताप सिंह को ज्ञापन सोपा और बताया कि पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच करे।

अगर पत्रकारों को ऐसे ही मानसिक प्रताड़ित किया जाएगा तो फिर इस दौर में पत्रकारिता का महत्त्व ही खत्म हो जाएगा।

साथ ही पत्रकारों ने यह भी मांग की हैं कि अगर पत्रकार ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ खबर लिखी है तो वह न्यायलय में जा सकता है। लेकिन पुलिस द्वारा मानसिक परेशान नही किया जा सकता है।

धार एसपी को ज्ञापन सौंपने के बाद सभी पत्रकार कोतवाली थाने पहुंचे और टी आई को भी आवेदन दिया और निष्पक्ष जांच की मांग की

इस दौरान धार के कई वरिष्ठ पत्रकार और युवा पत्रकार भी मौजूद थे।

ग्लोबल इंडिया टीवी के लिए धार से जितेंद्र वर्मा की रिपोर्ट

By jansetu