चिरिया लोक सूचना अधिकारी ने आवेदन के जवाब में अधिनियम की धारा 7(8) का उल्लघन करते हुए प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम, पदनाम एवं अन्य जानकारियां नही दी तो अपीलार्थी महेंद्र गुप्ता जी ने लोक सूचना अधिकारी चिरिया को ही प्रथम अपील भेजकर आवेदन प्रथम अपीलीय अधिकारी को भेजने हेतु लेख किया था, परंतु लोक सूचना अधिकारी चीरिया ने अधिनियम को अपने घर की बपौती समझकर प्रथम अपील आवेदन वापस भेजकर प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया अर्थात चोरी ऊपर से सीनाजोरी
गोगावा/ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लागू हुए तकरीबन 16 साल हो चुका है। किंतु लोकसेवको को यह पता ही नही है की अधिनियम क्या है या समझना नही चाहते है? क्योंकि अधिनियम के अनुरूप कोई भी कार्य नही कर रहा है। यह मामला वनमण्डल खरगोंन के चिरिया, चिरिया वन परिक्षेत्र से जुड़ा है। जहां लोक सूचना अधिकारी अधिनियम को अपने बाप की बपौती समझ बैठे है। और ऐसा हो भी क्यों न? जब खरगोन वनमंडल का डीएफओ ही एक अन्य प्रकरण में यह यह कह दे की आप नियमो में उलझा रहे हो और अधिनियम के विरुद्ध जाकर आदेश जारी कर दे तो ऐसी स्थिति में चिरिया रेंजर क्या गलती। क्योंकि कहावत तो आपने सुनी होगी जैसा बाप वैसा बेटा।
यहकी गोगावा निवासी महेंद्र गुप्ता ने पत्रिका समाचार पत्र को बताया कि उनके द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दिनांक 4 जनवरी 2022 को वनमण्डल खरगोंन को आवेंदन कर चिरिया वन परिक्षेत्र से संबंधित मात्र तीन बिंदु की जानकारी की चाही गई थी। वनमण्डल खरगोंन के कार्यकाल से महेंद्र गुप्ता को पत्र दिनांक 12 जनवरी 2022 के माध्यम से अवगत कराते हुए बताया गया कि आपका आवेदन वन परिक्षेत्र चिरिया को अंतरित कर दिया गया है आप चिरिया वन परिक्षेत्र से प्राप्त करे।आगे महेंद्र गुप्ता बताते है कि वन परिक्षेत्र चिरिया के लोक सूचना अधिकारी ने पहले तो अवगत कराया कि चाही गई जानकारी हमारे कार्यालय में नही होती है। यह जानकारी वनमण्डल ऑफिस में है। किंतु आवेदक को दिनांक 08 फरवरी 2022 को रजिस्टर डाक नम्बर RI432267054IN के माध्यम से एक डाक प्राप्त होती है जिसमे लोक सूचना अधिकारी वन परिक्षेत्र चिरिया का पत्र क्रमांक/2022/110 मिलता है। जिसमे लोक सूचना अधिकारी के द्वारा आवेदक से आवेंदन में लेख तीनो बिंदु जो कि वर्ष 2021में किये गए वरक्षारोपन को लेकर बिल बाउचर व सामग्री क्रय से व वन परीक्षेत्र में कार्यो के स्वीकृति से जुड़ी जानकारी की मांग की गई थी जो बिंदु क्रमांक/ 3 की जानकारी देने हेतु राशि की मांग की जाती है। तथा अन्य बचे दो बिंदु की जानकारी के लिए कुछ नही लिखा जाता है। आवेदक द्वारा मांगी गई राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बैंक चालान के माध्यम से जमा कर, दिनांक 10 फरवरी 2022 को वनमण्डल परिक्षेत्र चिरिया को पत्र लेख करते हुए भारतीय डाक रजिस्टर नम्बर RI424174378IN से अवगत करा दिया जाता है। साथ ही आवेदक ने वनमण्डल खरगोंन को भी राशि जमा की सूचना मेल के माध्यम से दिनांक 10 फरवरी 2022 को की गई थी। किंतु राशि जमा करने पर भी जानकारी लोक सूचना अधिकारी वन परिक्षेत्र चिरिया के द्वारा नही दी गई, तो आवेदक के द्वारा प्रथम अपील करना उचित समझा और प्रथम अपीलीय अधिकारी की जानकारी नही होने व लोक सूचना अधिकारी के द्वारा किये गए पत्राचार में भी कही प्रथम अपीलीय अधिकारी के बारे में जानकारी नही देने से आवेदक ने लोक सूचना अधिकारी को ही प्रथम अपील आवेदन भेजकर प्रथम अपीलीय अधिकारी को पहुचाने का लेख किया गया। प्रथम अपील दिनांक 2 फरवरी 2022 रजिस्टर डाक नम्बर RI630934263IN प्रेषित की गई थी। किंतु प्रथम अपिल वन परिक्षेत्र चिरिया के लोक सूचना अधिकारी के द्वारा रजिस्टर डाक नम्बर RI432441925IN जो दिनांक 24 मार्च 2022 को पत्र क्रमांक/351 चिरिया दिनांक 17 मार्च 2022 से प्रथम अपीलीय अधिकारी की हैसियत से प्रकरण को नियम विरुद्ध नस्तीबद्ध कर दिया गया।
वन परिक्षेत्र चिरिया के लोक सूचना अधिकारी ने अधिनियम को अपने बाप की बपौती समझ कर अपने मनमाने ढंग से निराकरण किया है। सूचना का अधिकार अधिनियम कानून यह कहता है कि राशि जमा करने के बाद आवेदक को मांग अनुसार जानकारी उपलब्ध करवानी चाइए। लोक सूचना अधिकारी ने कानून की धज्जियां उड़ाते हुए आवेदक के साथ धोखाधडी की और राशि हड़प ली और जानकारी भी नही दी। महेंद्र गुप्ता बताते है कि अभी तक तो सुनने में आता रहा है कि धोखाधड़ी सामान्य व्यक्ति ही करता है। पर आज यह देखने मे आया है की एक शासकिय विभाग वन परिक्षेत्र चिरिया में बैठे लोक सूचना अधिकारी अपने किये गए कार्य मे कैसे धोखाधड़ी की है।
सूत्रों की माने तो रेंजपरिक्षेत्र चिरिया द्वारा रेंज स्तर पर बड़े बड़े घोटाले किए है? जिसे छुपाने के लिए अब अधिनियम विरुद्ध कार्य कर रहे है। जिसमे इनका साथ विभाग के लोग भी दे रहे है? तभी तो मिलजुल कर नियम विरुद्ध कार्य कर वनमण्डल में हुए भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास कर रहे है। शासन इस ओर देखे तो एक हाल ही में बड़ा घोटाला लाखो का सामने आ सकता है।
शायद यही कारण है की सब गोल माल है भाई सब गोल माल है