जब ताल और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब संगीत का प्रादुर्भाव होता है। संगीत लोगों को थिरकने पर मजबूर कर देता है चाहे फिर वो आम हों या ख़ास।आज मांडू में भगोरिया के दौरान ये दृश्य आम रहा सांसद छतरसिंह दरबार,विधायक पांचीलाल मेढ़ा, पूर्व विधायक कालूसिंग ठाकुर, कलेक्टर डॉ पंकज जैन सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण ढोल-मांदल की थाप पर रंग-बिरंगे परिधानों में थिरकते युवाओं का हौसला अफजाई करते नज़र आए।

धार जिले के मांडू में जिला प्रशासन द्वारा आदर्श भगोरिया के रूप में जामा मस्जिद और अशफी महल के ऐतिहासिक प्रांगण में शनिवार को भगोरिया में उल्लास और मस्ती का संगम देखने को मिला। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो वर्षों से यह उत्सव फीका था। शनिवार मांडू में लगे मेले में ग्रामीणों की भीड़ नजर आई। यहाँ सुबह से ही ग्रामीण पहुंचने लगे थे। दोपहर एक बजे तक अच्छी-खासी भीड़ दिखाई थी।जमकर ढोल-मादल बजे। यहां पर विदेशी सैलानी भी पहुंचे।आदिवासी समाज प्राचीन समय से भगोरिया लोक उत्सव मनाता आ रहा है। अंचल में जहां भी हाट बजार लगता है, वहां होली के एक सप्ताह पूर्व से इसे भगोरिया हाट,मेले के रूप में मनाया जाता है। समाजजन रिश्तेदारों व मित्र सब हाट में जुटते हैं और नाच-गाकर होली के आगमन की खुशी मनाते हैं। इनमें खरीदी भी की जाती है। विविध सामग्रियों की दुकाने भी सजी थी। इस दौरान बर्फ गोला, पान की दुकान, कुल्फी, गन्ने का रस एवं शकर से बनी हार कांकणी आदि की दुकानें सजी हुई थी।इस लोक उत्सव की ख्याति देश-दुनिया में है, क्योंकि इसमें पुरातन व अद्भुत आदिवासी संस्कृति के दर्शन होते हैं।आदिवासी आकर्षक वेशभूषा में आते हैं।युवाजन भी अपने-अपने मित्रों के साथ मेला देखने सज-धज आए।भगोरिया में पारंपरिक परिधान में ढोल-मादल की थाप और बांसुरी की तान पर आदिवासी युवा जमकर नाचे और लोक संस्कृति के पर्व का महत्व बताया।

By jansetu