भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने देश के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण को रोकने की दिशा में अच्छा कदम उठाया है। भेल भोपाल इकाई नोएडा में स्थापित एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम की तर्ज पर इसे भोपाल में भी लगाएगी। दिल्ली कॉरपोरेट द्वारा तैयार इस पायलट प्रोजेक्ट में वे शहर शामिल किए जाएंगे जहां प्रदूषण ज्यादा है और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसे रोकना जरूरी है। इसका प्रयोग नोएडा में भेल ने किया है। इसके परिणाम देखने के बाद देशभर की अलग-अलग भेल की यूनिटें इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करेंगी।
शहरी क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण टॉवर के प्रोटोटाइप को स्वदेशी रूप से विकसित तथा तैयार किया है। भेल की इस पहल से भेल कारखाना, टाउनशिप, रहवासी, नौकरी पेशा लोगों और आने-जाने वाले लोगों की सेहत में सुधार होगा।
टावर की स्थापना में जहां भेल के इंजीनियरों ने मेहनत की है बल्कि नोएडा प्राधिकरण ने भी इस काम में सहयोग किया है। बेहद कम लागत में तैयार हुए उक्त टॉवर को देश के अलग-अलग क्षेत्रों में लगाने की बात नोएडा में केन्द्रीय मंत्री ने कही है। इस संबंध में भेल भोपाल इकाई के प्रवक्ता संजय राजवंशी का कहना है कि नोएडा में एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर के परिणाम देखने के बाद अन्य शहरों में भी इसे लगाने का काम शुरू होगा।
दिल्ली कॉरपोरेट ने डिजाइन बनाया, हरिद्वार यूनिट ने किया स्थापित
बीएचईएल के कॉर्पोरेट अनुसंधान एवं विकास प्रभाग ने इस टावर का डिजाइन तैयार किया है। हेवी इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट प्लांट हरिद्वार में टावर काे तैयार कर नोएडा में स्थापित किया।
दिल्ली में वायु प्रदूषण ज्यादा,इसलिए लगाया
देश की राजधानी दिल्ली का क्षेत्र खासकर सर्दियों में वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त होता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर गिर जाता है, जो स्थानीय लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। लिहाजा इसे रोकने के लिए नोएडा में टॉवर की स्थापना की गई है।
फिल्टर प्रदूषक तत्वों को सोखेगा और ताजी हवा फेंकेगा
एपीसीटी अपने धरातलीय स्तर के माध्यम से प्रदूषित हवा को खींचता है। टावर में स्थापित फिल्टर वायु के प्रदूषक तत्वों (पार्टिकुलेट मैटर) को सोख लेते हैं। इसके बाद टावर के ऊपरी हिस्से से स्वच्छ हवा निकलती है। सोखे गए प्रदूषक तत्वों को समयानुसार निपटान के लिए एपीसीटी के तल पर हापर में एकत्र किया जाता है।